श्रीदुर्गाचरितमानस भी जनमानस का कंठाहार होगा साबित

श्रीदुर्गाचरितमानस भी जनमानस का कंठाहार होगा साबित

शारदीय नवरात्र के पूर्व  श्रीमद् जगतगुरु रामचंद्राचार्य  अनंत श्री विभूषित शिवशक्ति योग पीठाधीश्वर संत शिरोमणि परमहंस स्वामी आगमानद जी महाराज के द्वारा प्रणीत देवी उपासकों भक्तों के लिए  अद्भुत अनुपम ग्रथ श्रीदुर्गाचरितमानस गायन (ओडियो +वीडियो) का लोकार्पण के बाद लोगों तक पहुंच रहा।ओर लोग काफी पसंद कर रहे हैं।

श्रीदुर्गाचरितमानस  का सस्वर गायन भजन सम्राट डॉ हिमांशु मोहन मिश्र 'दीपक ' के  द्वारा किया गया है। जो युट्यूब चैनल swamiaagmanand pariwar Link to the YouTube Channel पर उपलब्ध है।बताते चलें कि। परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज द्वारा श्रीदुर्गा सप्तशती का हिन्दी में कव्यानुवाद 'श्रीदुर्गाचरितमानस ' अलौकिक कृति है । उन्होने श्रीदुर्गाचरितमानस  का  लेखन  कार्य  सवा दो साल  में  नौ नवरात्र में मौन व्रत साधना  के दौरान किये है। नौ नवरात्र  के दौरान अठारह से उन्नीस घंटे लेखन  कार्य का संपादन हूआ है।  

शारदीय नवरात्रा में परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज के द्वारा रचित  श्रीदुर्गाचरितमानस बड़ा संस्करण, श्रीदुर्गाचरितमानस का छोटा संस्करण, एवं श्री दुर्गा सप्तश्ती संस्कृत का छोटा संस्करण  का लोगो ने अध्ययन कर प्रसन्नता व्यक्त करते आ रहे हैं। श्रीदुर्गाचरितमानस गायन (ओडियो +वीडियो लोगों ख़ूब पसंद कर रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार सौ बार गलत उच्चारण के साथ पढ़ा गया मंत्र से फल की कभी प्राप्ति नहीं होती है. जबकि सही उच्चारण के साथ एक बार भी जपा गया मंत्र अच्छा फल प्रदान करता है. लेकिन  संस्कृत के शब्दों का सही-सही उच्चारण कर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करना हर श्रद्धालुओं के लिए आसान भी नहीं होता है. ऐसे में श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज एक अनोखी पहल करते हुए श्री रामचरितमानस की तरह श्री दुर्गा सप्तशती का अवधी भाषा (हिन्दी) में सरल काव्यानुवाद कर एक सरल कृति ही तैयार कर डाली है.जिसे श्री दुर्गा चरितमानस का नाम दिया गया है। स्वामी जी ने जनमानस की सुविधा के लिए प्रसाद गुण से रससिक्त पंक्तियों की रचना कर गोस्वामी तुलसीदास के तर्ज पर चौपाई एवं दोहों के माध्यम से हिंदी भाषी लोगों के लिए श्री दुर्गा सप्तशती का हिंदी पदनुवाद किया है.

माना जा सकता है कि श्री रामचरितमानस की तरह श्रीदुर्गाचरितमानस भी जनमानस का कंठाहार साबित होगा. शास्त्र के जानकरों की यदि मानें तो वैसे श्रद्धालु जो नवरात्र में जो संस्कृत में पाठ का सही-सहित उच्चारण नही कर पाते थे, उनके लिए यह कृति किसी वरदान से कम नहीं है. अब लोग सुनकर भी फल की प्राप्ति कर सकते हैं। बहरहाल  271 पेज का ‘श्रीदुर्गाचरितमानस’ गायन का ओडियो वीडियो शिक्षाविद् , विद्वान एवं साहित्कारो के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है. शिक्षाविद् का मानना है कि  जिस प्रकार संस्कृत भाषा में उपलब्ध अनेको रचनाओ के बाबजूद श्री रामचरनानुरागी गोस्वामी तुलसीदास द्वारा अवधी भाषा में रचित श्री रामचरितमानस देश ही नही वरन संपूर्ण विश्व में  विख्यात हूआ उसी प्रकार आदिशक्ति दुर्गा के  अनन्य उपासक  परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ( श्री रामचंद्र पाण्डेय 'रसिक ' ) की यह अलौकिक कृति श्रीदुर्गाचरितमानस  विश्व में प्रशंसनीय पठनीय , श्रवणीय एवं जनकल्याणनार्थ होगें । उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भी परमहंस  स्वामी आगमानंद जी महाराज (श्री रामचंद्र पाण्डेय ‘रसिक’ ) के द्वारा रचित एवं सम्पादित दो दर्जन पुस्तको को पाठकवर्गों ने रस पान किया है।


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