जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने ब्रिटेन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने ब्रिटेन के नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए

जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई), कोलकाता और नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम (एनएचएम), लंदन कई वर्षों से भारत में जीवों के अध्ययन पर केंद्रित पारस्परिक रूप से लाभकारी परियोजनाओं पर और लंबे समय से चले आ रहे इस संबंध को पहचानने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं। भविष्य में कई वर्षों तक इसकी निरंतरता को बढ़ावा देने के लिए दो महत्वपूर्ण संस्थानों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए गए। ज़ेडएसआई, कोलकाता के निदेशक और एनएचएम, लंदन के निदेशक, ने आज माध्यम से आयोजित कार्यक्रम के दौरान इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

 

जेडएसआई की पहली महिला निदेशक डॉ. धृति बनर्जी और नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम, लंदन के निदेशक डॉ. डगलस गुर के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम लंदन में जीवन विज्ञान विभाग के वर्टीब्रेट्स संकाय के प्रमुख डॉ. डेविड गॉवर और डॉ. जॉन जैक्सन, विज्ञान, नीति और संचार प्रमुख और रोज़लिंड ग्लास, प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, लंदन के निदेशक और न्यासी बोर्ड के कार्यकारी सहायक उपस्थिति थे।

समझौता ज्ञापन को ऐतिहासिक बताते हुए, जेडएसआई की निदेशक डॉ. धृति बनर्जी ने कहा कि इस समझौता ज्ञापन की लंबे समय से प्रतीक्षा थी और लंबे समय से एक दूसरे से सम्बद्ध एनएचएम, लंदन और जेडएसआई, कोलकाता दो महत्वपूर्ण संस्थान वैज्ञानिक आदान-प्रदान के माध्यम से जैव विविधता अनुसंधान पर पारस्परिक रूप से लाभान्वित होने जा रहे हैं। भारत में जैव विविधता अध्ययन के लिए प्रमुख संस्थान ज़ेडएसआई का मुख्यालय कोलकाता में है और भारत के विभिन्न जैव-भौगोलिक क्षेत्रों की जैव विविधता को पूरा करने के लिए 16 क्षेत्रीय केंद्र स्थापित किए गए हैं। जेडएसआई के पास लगभग 5 मिलियन पशुओं का संग्रह है। इन संस्थानों में 20,000 प्रकार के संग्रह हैं और लगभग 450 वैज्ञानिक और वैज्ञानिक कर्मचारी जेडएसआई में मौजूद विशाल पशु संग्रह और शोध की दिशा में काम करते हैं।

डॉ. डगलस गुर, निदेशक, एनएचएम, लंदन ने भारत सरकार को उनके साथ इस समझौता ज्ञापन पर सहमत होने के लिए धन्यवाद देते हुए जेडएसआई के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि जेडएसआई और एनएचएम, लंदन दोनों संस्थानों ने संयुक्त अनुसंधान गतिविधियों के लिए तत्परता दिखाई है और प्राकृतिक इतिहास संग्रह और बेहतर विज्ञान की दिशा में तेजी लाने पर दोनों के बीच एक जैसा उत्साह है। इस सहयोग से न केवल दोनों संस्थानों को लाभ होगा, एनएचएम, लंदन और ज़ेडएसआई में मौजूद लाखों महत्वपूर्ण संग्रह, जिसमें विभिन्न प्रकार की सामग्री शामिल हैं, भारत और दुनिया भर में जैव विविधता को समझने और संरक्षित करने, प्राकृतिक संसाधनों को हो रहे नुकसान को कम करने, साथ ही जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और जैव-संसाधनों के स्थायी प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

इस समझौता ज्ञापन के माध्यम से दोनों संस्थान वन्य जीवों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों ("सीआईटीईएस") में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर 1973 के कन्वेंशन, जैव विविधता पर 1992 कन्वेंशन ("सीबीडी") और जैव विविधता से संबंधित राष्ट्रीय और क्षेत्रीय कानूनों व विनियमों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जिसमें जीव-जंतुओं के नमूनों तक पहुंच, संबद्ध लाभों को साझा करना और पारंपरिक ज्ञान से संबंधित कानून शामिल हैं।

एनएचएम, लंदन और ज़ेडएसआई विज्ञान के लिए जीव-जंतुओं के नमूनों को इकट्ठा करने, उनका अध्ययन करने और उनका संरक्षण करने और संबंधित डेटा और चित्रों को बनाने और उनका आदान-प्रदान करने के लिए मिलकर काम करेंगे। जेडएसआई, कोलकाता द्वारा एनएचएम, लंदन में संयुक्त फील्ड वर्क अभियान, डुप्लीकेट पशु सामग्री और संबंधित डेटा व चित्रों के आपस में हस्तांतरण की योजना है। इसके अलावा लम्बी अवधि के लिए सुनिश्चित करने के लिए व्यवस्थित जूलॉजी और संरक्षण के क्षेत्रों में क्षमता निर्माण एवं भारत में पशु आनुवंशिक संसाधनों का संरक्षण करने की भी योजना है। फिर भी, सभी जीव-जंतु सामग्री और सूचना का आदान-प्रदान प्रतिभागियों के सभी प्रासंगिक मौजूदा घरेलू नियमों के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय कानूनों के अधीन होगा। यह समझौता ज्ञापन पांच साल की अवधि के लिए होगा।

समझौता ज्ञापन से दोनों देश के टेक्सोनोमिस्ट्स, संरक्षण जीव-विज्ञानी, जैव विविधता प्रबंधकों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों को एक साथ लाने की उम्मीद है, ताकि लंबी अवधि के वैज्ञानिक दस्तावेज़ीकरण के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय आदान-प्रदान के माध्यम से जैव विविधता के संरक्षण के लिए रणनीति तैयार करने के लिए अंतराल क्षेत्रों पर चर्चा, नेटवर्किंग की पहचान की जा सके।

भारत में विश्व का केवल 2.4 प्रतिशत भूमि क्षेत्र है लेकिन भारत में प्रजातियों की विविधता 8.1 प्रतिशत है जो भारत को दुनिया के बारह विशाल जैव विविधता वाले देशों में से एक बनाती है। भारत से विज्ञान के लिए औसतन 350-400 प्रजातियां नई हैं, जिन्हें ज़ेडएसआई के वैज्ञानिकों और प्राकृतिक इतिहास एवं संरक्षण पर काम करने वाले अन्य लोगों द्वारा खोजा जा रहा है। भारत दुनिया के विशाल जैव विविधता वाले देशों में से एक है जहां पौधों की 45,000 प्रजातियां हैं और भारत में 100,000 से अधिक जानवरों की संख्या दर्ज है। विभिन्न विशाल प्रजातियों वाले पहचाने गए देश हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, कोलंबिया, इक्वाडोर, पेरू, वेनेजुएला, ब्राजील, कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य, दक्षिण अफ्रीका, मेडागास्कर, भारत, मलेशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, पापुआ न्यू गिनी, चीन और ऑस्ट्रेलिया।

भारत के कई प्राकृतिक इतिहास संग्रह स्वतंत्रता से पहले एनएचएम, लंदन में उपलब्ध हैं, जबकि भारत ने अपने स्वयं के संग्रहों को ज़ेडएसआई में 1947 से स्वतंत्र रूप से रखना शुरू कर दिया है और जिसके परिणामस्वरूप, ज़ेडएसआई पूरे दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया क्षेत्र में जीवों का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है। भारत में पाए जाने वाले जानवरों की 100,000 से अधिक प्रजातियों के साथ, यह जूलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ज़ेडएसआई) है जिसने वैज्ञानिक समुदायों को उनमें से कई के बारे में नई और स्थानिक प्रजातियों के रूप में जानकारी दी। ज़ेडएसआई भारत सरकार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत भारत में पशु वर्गीकरण पर प्रमुख संस्थान है।