अपने उद्योगपति मित्रों के सामने नतमस्तक है मोदी सरकार - पवन खेड़ा

अपने उद्योगपति मित्रों के सामने नतमस्तक है मोदी सरकार - पवन खेड़ा

कृषि बिल के विरोध में किसानो के भारत बंद पर कांग्रेस पार्टी ने कहा मोदी सरकार अपने उद्योगपति मित्रों के सामने नतमस्तक है।  कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि आज पूरे भारत से रिपोर्ट्स आप भी देख रहे हैं, आपके माध्यम से हम भी देख रहे हैं, कैसे किसान आक्रोशित है, सड़क पर है, परेशान है। आपने देखा कि जब प्रधानमंत्री विदेश गए, वहाँ भी किसानों के विरोध का सामना उन्हें करना पड़ा। तो ये परिस्थिति क्यों पैदा हुई? आज क्या कारण है कि 10 महीने होने आए और आज भी किसानों के मुद्दे, उनकी मांगे, वैसी की वैसी हैं। आज भी किसान सड़क पर है। बरसात, ठंड गर्मी, तीन मौसम झेल चुका है और अभी भी सड़क पर है। कुछ आत्मचिंतन सरकार को करना आवश्यक है। क्यों ठगा हुआ महसूस कर रहा है - आपने, जो मार किसान की रीढ़ की हड्डी पर की है, पहले तो आप डीजल की कीमत देखिए, डीएपी की कीमत देखिए। डीएपी की कीमत हमारे वक्त, यूपीए के वक्त में जो 1,075 रुपए में मिलता था बैग, आज 1,900 रुपए में मिलता है। 7 साल में लगभग दो गुना। आपमें से काफी लोग कृषि पृष्ठभूमि से हैं। एमपीके, जो उस वक्त 1,175 रुपए में मिलता था, आज 1,775 रुपए में मिलता है, पोटाश, सुपर फर्टिलाइजर, किसी को उठा कर देख लीजिए, या तो आपने उसकी कीमत दोगुनी कर दी, बढ़ा दी और कृषि पर जिस तरह से टैक्स लगाया, खाद पर जीएसटी लगाया, कृषि उपकरणों पर 12 से 18 प्रतिशत जो आपने जीएसटी लगाई, डीजल पर कम से कम 22 रुपए आपने अतिरिक्त एक्साइज ड्यूटी का भार डाला, उसका खामियाजा किसको भुगतना पड़ रहा है, किसान पर वो चोट हो रही है।

जैसे कि इन सबसे उस पर चोट नहीं लगी हो, आप फिर ये तीन काले कानून और ले आए, बिना किसी से चर्चा किए। इतने यूनियन हैं, किसान यूनियन हैं, किसी से आपने चर्चा करना उचित नहीं समझा। संसद का अपमान करते हुए आपने जिस तरह से ये काले कानून पास किए। कहीं लोकतंत्र का छलावा भी नहीं दिख रहा था कि कहीं लोकतंत्र हैं संसद में उस वक्त। तो ये परिस्थिति क्यों आ रही है कि आज आपको और इस देश को, जो कि लोकतंत्र की जननी है, उसको लोकतंत्र पर बाहर से भाषण सुनने पड़ते हैं, तो अच्छा नहीं लगता, पीड़ा होती है।

आपने 22 जनवरी को कहा था किसानों को कि I am one phone call away, कहाँ है वो फोन कॉल? उसके बाद आपने कोई कसर नहीं छोड़ी, किसानों को देश का दुश्मन करार दिया। किसानों को अपना भी दुश्मन मान लिया। उनसे बात करने को आप तैयार नहीं। जिसको अंग्रेजी में कहते हैं - character assassination करने में कोई आपने कसर नहीं छोड़ी। इसमें क्या गुरुर है, घमंड है, मजबूरी है, आपके उद्योगपति मित्रों के सामने आप नतमस्तक हैं, वो आपको ब्लैकमेल कर रहे हैं? कारण क्या है कि आप आज किसानों से बात करने की भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहे, समय नहीं निकाल पा रहे और ये देश का नुकसान हो रहा है, किसान का तो नुकसान है ही। जिस देश की इतनी बड़ी आबादी कृषि पर आधारित हो, उस देश का किसान अगर आक्रोशित है, 10 महीने से आक्रोशित है, तो उस देश की सरकार को तो जेटलैट छोड़िए, नींद आनी ही नहीं चाहिए। हवाई जहाज में हो या हवाई जहाज के बाहर हो, नींद नहीं आनी चाहिए उस प्रधानमंत्री को।

तो ये नए-नए आप नारे लगा देंगे, आप ऩई-नई घोषणाएं कर देंगे। फिर हर जगह आप अपनी तस्वीर खिंचवा कर, मन की बात करके बार-बार बोलेंगे, प्रधानमंत्री बीमा कृषि योजना। क्या हुआ कृषि बीमा योजना का? पिछले 7 साल में कृषि बीमा योजना में निजी कंपनियों को 25,000 करोड़ का आपने लाभ पहुंचाया। ये नहीं बताएंगे। कोई मूर्ख नहीं है किसान कि अपना घर, खेत, खलिहान छोड़कर सड़क पर बैठा है 10 महीने से, परिवार छोड़ कर बैठा है। आपको खुद सोचना चाहिए, आप प्रधानमंत्री हैं देश के।

इलेक्शन में आप यहाँ-वहाँ ध्यान बंटा देंगे, किसी तरीके से वोट लेने की चेष्टा करेंगे। लेकिन आपका भी एक ज़मीर होगा, आपके अंदर भी एक आवाज होगी। आपका भी दिल आपको याद दिलाता होगा कि आपका क्या राजधर्म है। आज हम लोग बड़े दुखी मन से आपके सामने यहाँ खड़े हुए हैं। हम सबका फर्ज बनता है, इस देश के नागरिकों का कि किसानों को समर्थन दें। उनको हम अकेला नहीं छोड़ सकते। सरकार झुकेगी अगर हम सब मिलकर किसानों का साथ देंगे तो। वो किसी राजनीतिक दल के हों ना हों, हम लोगों को, सबको मिलकर आज किसानों के साथ खड़ा होना पड़ेगा, नहीं तो इस देश का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा। DDS